प्रशासन का वरदहस्त होने से जमना प्रसाद राज्य भर के पुलिस-तंत्र से भिड़कर ‘हिमायती की घोड़ी, ऐराकी को लात मारे’ वाली कहावत चरितार्थ कर रहा है|
प्रशासन का वरदहस्त होने से जमना प्रसाद राज्य भर के पुलिस-तंत्र से भिड़कर ‘हिमायती की घोड़ी, ऐराकी को लात मारे’ वाली कहावत चरितार्थ कर रहा है|
अभी तो मैंने कोई जमीन खरीदी भी नहीं और तुम दोनों उसपर अपने हिस्से के लिए लड़ रहे हो! इसे कहते हैं कि ‘सूत न कपास, जुलाहों में लट्ठम-लट्ठा |’
अभी तो मैंने कोई जमीन खरीदी भी नहीं और तुम दोनों उसपर अपने हिस्से के लिए लड़ रहे हो! इसे कहते हैं कि ‘सूत न कपास, जुलाहों में लट्ठम-लट्ठा |’
जीवन में लाख कष्ट आने पर भी घबराना नहीं चाहिए, क्योंकि ‘हथेली पर सरसों नहीं जमती|’
जीवन में लाख कष्ट आने पर भी घबराना नहीं चाहिए, क्योंकि ‘हथेली पर सरसों नहीं जमती|’
सच्चे और ईमानदार व्यक्ति की कितनी भी बुराई करने का प्रयास किया जाए, उसपर कोई आंच नहीं आती, क्योंकि ‘सूरज धूल डालने से नहीं छिपता|’
सच्चे और ईमानदार व्यक्ति की कितनी भी बुराई करने का प्रयास किया जाए, उसपर कोई आंच नहीं आती, क्योंकि ‘सूरज धूल डालने से नहीं छिपता|’
Correct Answer:
जीवन में लाख कष्ट आने पर भी घबराना नहीं चाहिए, क्योंकि ‘हथेली पर सरसों नहीं जमती|’
जीवन में लाख कष्ट आने पर भी घबराना नहीं चाहिए, क्योंकि ‘हथेली पर सरसों नहीं जमती|’